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अधिक पैदावार हेतू सोयाबीन की फसल पकने से पहले करे ये उचित प्रबंधन

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मौजूदा समय में मध्य प्रदेश महाराष्ट्र राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों में सोयाबीन की फसल पकने की कगार पर है। सोयाबीन की फसल पकने की अवस्था में किसानों को कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए। मध्य प्रदेश राज्य के कई जिलों में हो रही बारिश के चलते सोयाबीन की फसल में इस समय नुकसान की आशंका है इसके लिए बचाओ में क्या-क्या करना चाहिए लिए इस पोस्ट के द्वारा हम जानेंगे

सोयाबीन की फसल पकने से पहले करे किसान ये उचित प्रबंधन।

मध्य प्रदेश के कई जिलों में सोयाबीन की पट्टी हुई फसल पर बारिश के चलते नुकसान होने की आशंका है इसलिए किसानों को हो रही लगातार बारिश को देखते हुए अपने खेत से पानी इकट्ठा न होने दे और फसल को बचाना सुनिश्चित करें।

सोयाबीन की फसल पकने की कगार पर है इसलिए किसानों को लगातार हो रही बारिश के चलते फलियां में दाना अंकुरित होने का खतरा बन रहा है इसलिए किसानों को फसल की सही समय पर कटाई करना आवश्यक है। जिससे बनने वाले फलियां में दान की गुणवत्ता को खराब होने से बचाया जाए।
किसने को सोयाबीन की फसल जो किसान जल्दी कर तैयार होती है उन किस्म की 90% पीलापन होने पर कटाई करना सुनिश्चित करें। जिन खेतों में अभी फूल की अवस्था में फसल है। फसल में फफूंद नाशक का छिड़काव करें
जानकारी के लिए बता दें कि सोयाबीन की फसल करीब 60 से 75 दिन की होने के बाद चक्र भृंग से ज्यादा नुकसान होने की संभावना नहीं रहती। जो इस रोग से ग्रसित पौधे हैं उन्हें खेत से बाहर निकले।

मध्य प्रदेश के विदिशा रतलाम के अलावा भी कई जिलों में इस सप्ताह सोयाबीन की फसल में तंबाकू का प्रकोप देखा गया है इसलिए किसानों को इसका सही नियंत्रण करने के लिए अपनी फसल में फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी (450 मिली/हे) या फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू.जी. (250-300ग्रा./हे) या लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.90 सी.एस. 300 मिली/हे. का छिड़काव कर सकते हैं।

सोयाबीन की फसल में इस समय दाना बनने की अवस्था के दौरान चने की इल्ली होने के चलते पारियों में दाना खाने की संभावना बढ़ जाती है इसके लिए किसान कीटनाशकों का छिड़काव करना आवश्यक है। इसके नियंत्रण के लिए फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 (425 मि.ली./हे) या नोवाल्युरोन + इन्डोक्साकार्ब 04.50 % एस. सी. (825-875 मिली/हे) या इंडोक्साकार्ब 15.8 एस. सी (333 मि.ली/हे ) का छिड़काव कर सकते हैं।
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अगर सोयाबीन की फसल में इल्ली के साथ-साथ तना छेदक कीट व रस चूसने वाले कीट का नियंत्रण के लिए थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) को मिलाकर स्प्रे कर सकते हैं।

मध्य प्रदेश के मालवा रतलाम और इंदौर के साथ कुछ जिलों में सोयाबीन की फसल में ब्राउन रोड रोग के लक्षण दिखाई दिया है। इसकी रोकथाम के लिए किसानों को टेबूकोनाझोल 10%+सल्फर 65%वग (1250 ग्राम/हे) या पिकोक्सीस्ट्रोबिन 22.52% w/wSC (400 मिली/हे) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 133 g/l + इपिक्साकोनाजोल 50g/l SE (750 मिली/हे) या टेबुकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मिली/हे) या फ्लुक्सापाय्रोक्साड 167 g/l + पायरोक्लोस्ट्रोबीन 333 g/l SC (300ग्रा/हे.) या कार्बेन्डाजिम+मेन्कोजेब 63% WP (1250 ग्राम/हे) इन सब कीटनाशक कर दिया जा सकता है।

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Web Desk

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